लिपि ऐसे प्रतीक-चिह्नों का संयोजन है जिनके द्वारा श्रव्य भाषा को दृष्टिगोचर बनाया जाता है।
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मुद्रित भाषा प्रयोग के लिए पढ़ा-लिखा होना आवश्यक है जबकि श्रव्य भाषा के लिए पढ़ा-लिखा होना जरूरी नहीं।
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मुद्रित भाषा प्रयोग के लिए पढ़ा-लिखा होना आवश्यक है जबकि श्रव्य भाषा के लिए पढ़ा-लिखा होना जरूरी नहीं।
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इसलिए हम कह सकते हैं कि लिपि ऐसे प्रतीक-चिह्नों का संयोजन है जिनके द्वारा श्रव्य भाषा को दृष्टिगोचर बनाया जाता है।
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उसके सम्मुख प्रश्न यह था कि वाचिक अथवा श्रुत भाषा से लिखित अथवा पठित भाषा का संक्रमण कैसे हो: श्रव्य भाषा और उसके काव्य को दृश्य भाषा और उसके काव्य में कैसे रूपान्तरित कर दिया जाए।